नीकले हैं हम
पथ-पथिक बनकर
लोग मिलते जाएंगे समर में
कारवां बनकर
बच्चे पढ़ें हर हाँथ को हो काम
माता-पिता बहनों का हो सम्मान
विज्ञान तकनीकी से हो हर काम
भारतीय संस्कृति का न हो अपमान
प्रकृति करे धरा को सुसज्जित
पर्यावरण न हो लज्जित
लहराता रहे सदैव तिरंगा
कैलाश हिमालय और गंगा
हिन्दू है न हम मुसलमान
पहले हैं हम भारतीय
लहू के रंग को पहचानो
माटी है पुकारती
न होने देंगे हम कलंकित
वीरो का बलिदान
उठो जागो चलो जवानो
साकार करो भारत का स्वाभिमान
खेती-बारी और किसान
जिस देश की हो शान
ऐसे समृद्ध भारत की
पुनः विश्व में हो पहचान
द्वारा - डा. वाचस्पति त्रिपाठी Mo. 09415225324
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